सच और झूठ की ,
दो पाटो के बीच फँसी है,
दुनिया का तकरार और इकरार,
का सच ।
मर्द और औरत की ,
जिस्मानी प्यास की आश में ,
बुझ गई है जीवन,
और इसकी सर्जनशीलता।
देश विदेशज सा हो गया ,
मित्र भी शत्रु है आज।
बम गिराकर , नरसंघार कर,
अपकार , उपकार भूल गए है, सब।
इंसान का कोई मान नहीं है,
इंसान क्यों , इतना खुदगर्ज है।
धूल में लोटे , काले मटमैले ,
नवजात से भी , इतना इसको ,
बैर क्यों है।
टिश उठी है , बेकाबू दिल में ,
लब डब धड़कन , शोर में तब्दील ।
सिसकार उठा, हर मानव जब ,
कितने चीत्कार ,
ऐ इंसान तू , झेलेगा अब।
ह्रदय आघात भी बिसर गया है ,
आज का मानव क्यों इतना ,
भटक गया है।
दो पाटो के बीच ,
दुनिया क्यों इतना सिमट गया है।
पिकाचु
दो पाटो के बीच फँसी है,
दुनिया का तकरार और इकरार,
का सच ।
मर्द और औरत की ,
जिस्मानी प्यास की आश में ,
बुझ गई है जीवन,
और इसकी सर्जनशीलता।
देश विदेशज सा हो गया ,
मित्र भी शत्रु है आज।
बम गिराकर , नरसंघार कर,
अपकार , उपकार भूल गए है, सब।
इंसान का कोई मान नहीं है,
इंसान क्यों , इतना खुदगर्ज है।
धूल में लोटे , काले मटमैले ,
नवजात से भी , इतना इसको ,
बैर क्यों है।
टिश उठी है , बेकाबू दिल में ,
लब डब धड़कन , शोर में तब्दील ।
सिसकार उठा, हर मानव जब ,
कितने चीत्कार ,
ऐ इंसान तू , झेलेगा अब।
ह्रदय आघात भी बिसर गया है ,
आज का मानव क्यों इतना ,
भटक गया है।
दो पाटो के बीच ,
दुनिया क्यों इतना सिमट गया है।
पिकाचु
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