Friday, January 20, 2017

अंदाज ए बयां , वक्त का :

अंदाज ए बयां , वक्त का  ,
शाज , शहनाई , श्रृंगार  कर,
छठा-घटा में ,कर्म की साधना की ,
ज्योति,
अंदाज ए बयां , वक्त के साथ जलायेगा।

विस्मित है वो , मदहोश है वो ,
प्रीत के ब्यार के नव बौछार  से।
पल ये अगला , रीत क्या लायगा।

धड़कते  दिल की, धधकते अग्न से ,
श्रुति मीत का , संगीत प्रणय का ,
मन आंगन में,यौवन  की कोपल,
अंदाज ए बयां , वक्त के साथ खिलायेगा।

भँवरे कली की.संयोग की बेला ,
मन ये बावला , तन ये कम्पन।

मित  प्रीत के सम्भोग के उद्धव से ,
सृष्टि में अब फिर कोई,  नव ब्यार,
प्रेम का ,
अंदाज ए बयां , वक्त के साथ   बहायेगा।

पिकाचु 

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