Tuesday, January 24, 2017

मैं अजनबी हु ,


मैं अजनबी हु ,
तटस्थो के मरुस्थल में खोजता ,
अपनी जमी।
मैं वो अजनबी हु।

मैं  बवंडर  हु ,
हवाओ के वेगो को थामे हुए ,
निरंतर खड़ा।
दबाव के समुन्दर को छितराते हुए ,
जीवन को समर्पित।
मैं  बवंडर हु।

मैं पथिक हु ,
न सफर का पता  ,
न रास्ते का पता ,
न मंजिल की उम्मीद ,
बस चले जा रहा हु।
मैं  पथिक हु।

मैं भूख हु ,
मेरी क्षुधा में सिर्फ मैं।
मैं भूख हु।

पिकाचु 

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