चौसर की बिसात बिछी है ,
पासा पास है , चलने को ,
कौन सी चाल, चल चलु ,
कर्म , ज्ञानी , कुकर्म या अज्ञानी।
जनत या जलालत ,
कुफ्र या आदमियत ,
फिक्र किसे ,
न मेरे लिए न तेरे लिए।
कौन यहाँ ठहरा है,
खुदगर्ज ,खुदा ,खुदगर्जी बन।
हर शख्स यहाँ प्यासा है ,
गर्म लहू पिने के लिए।
ताज तख़्त के चाह में,
मुकाबला किससे ,
मूक , बधिर , मौन ,
मर्महीन ,गौण, मष्तिष्क से।
चुरुट , चुरमुर ,अवपथ की राह में ,
किस अग्निपथ की गरज में ,
धूल उड़ाता , निकल पड़ा ,
इंसान अपना ,
बुदबुद सा मीर बनने।
पिकाचु
पासा पास है , चलने को ,
कौन सी चाल, चल चलु ,
कर्म , ज्ञानी , कुकर्म या अज्ञानी।
जनत या जलालत ,
कुफ्र या आदमियत ,
फिक्र किसे ,
न मेरे लिए न तेरे लिए।
कौन यहाँ ठहरा है,
खुदगर्ज ,खुदा ,खुदगर्जी बन।
हर शख्स यहाँ प्यासा है ,
गर्म लहू पिने के लिए।
ताज तख़्त के चाह में,
मुकाबला किससे ,
मूक , बधिर , मौन ,
मर्महीन ,गौण, मष्तिष्क से।
चुरुट , चुरमुर ,अवपथ की राह में ,
किस अग्निपथ की गरज में ,
धूल उड़ाता , निकल पड़ा ,
इंसान अपना ,
बुदबुद सा मीर बनने।
पिकाचु
No comments:
Post a Comment