लो एक और कहकशा ,
लो एक और दुआ ,
लो एक और बददुआ ,
सुना के कोई,
अभी अभी, ही गया।
स्तब्ध, नि:शब्द,
लड़खड़ा, संयम हो।
मैं ढूंढने चल पड़ा,
फिर एक नई बददुआ।
आहिस्ता-आहिस्ता,
एकनिष्ठ हो, निपुण मैं ,
झेलने में , ये बददुआ।
वो आज फिर आई ,
बोला तुम, ठीक व्यक्ति नहीं।
फर्क नहीं पड़ता तुम्हे।
गुरेज ही नहीं ,
क्यों ? कोई अभिव्यक्ति नहीं।
हँस पड़ा खिलखिलाकर मैं।
कोई शिकन नहीं।
लगे कौन सी बददुआ ।
यहाँ तो रुके , खड़े है अरसो से।
क्रमबद्ध कतार में ,ये बददुआ ।
पिकाचु
लो एक और दुआ ,
लो एक और बददुआ ,
सुना के कोई,
अभी अभी, ही गया।
स्तब्ध, नि:शब्द,
लड़खड़ा, संयम हो।
मैं ढूंढने चल पड़ा,
फिर एक नई बददुआ।
आहिस्ता-आहिस्ता,
एकनिष्ठ हो, निपुण मैं ,
झेलने में , ये बददुआ।
वो आज फिर आई ,
बोला तुम, ठीक व्यक्ति नहीं।
फर्क नहीं पड़ता तुम्हे।
गुरेज ही नहीं ,
क्यों ? कोई अभिव्यक्ति नहीं।
हँस पड़ा खिलखिलाकर मैं।
कोई शिकन नहीं।
लगे कौन सी बददुआ ।
यहाँ तो रुके , खड़े है अरसो से।
क्रमबद्ध कतार में ,ये बददुआ ।
पिकाचु
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