Thursday, January 19, 2017

जीना ये आसान नहीं है

जी नहीं है , जान  नहीं है ,
जीने की अरमान नहीं है।
रफ्ता , रफ्ता , वक्त ,
जो चलता ,
जीना ये आसान नहीं है।


जीतेजी जो हार गये ,
जज्बात अपने जो गये ,
जज्बे तो सारे, सो गये ,
जलने को , तन्हा ,
जो  छोड़ गये।
जीने की अरमान नहीं है,
जीना ये आसान नहीं है।

जाने क्यों इस रूह में ,
जाने का भी कोई गम नहीं।
जालिम जो  तेरे जेर से,
जाते हुए भी दूर से ,
जमते हुए अश्को से मैं ,
जा रहा हु, रफ्ता , रफ्ता ।
जीना ये आसान नहीं है।

जिन्दा हु बस, जान नहीं है ,
जन्नत की आजार नहीं ,
जख्म तेरे, मेरे है जेबा
जीनत जुदा तो  जिस्म क्या ,
जायज नहीं अब ये वक्त जो
जीना ये आसान नहीं है।


पिकाचु( कॉपीराइट शोभा सचिन्द्र: १९०१२०१७  )






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