कील , हथौड़ा ,
सम्बन्ध है कैसा
खटपट खटपट,
कैसे क्यों ।
निकल पड़ा है ,
कील जो अपना ,
आंगन के दो कोने को ,
इस डोर से मैं, बाँधु कैसे।
मन का आंगन मैल से गीला ,
कौन से हथौड़ा,
मारू मैं।
संबंध जो अपना,
उधड़ पड़ा है ,
सुई से सिलाई न होये जो।
कौन से हथौड़ा ,
आज जो मारू ,
रिश्तो की गांठ , न उधड़े।
मन तो मेरा ,
चाह है तेरा ,
फिर कील हथौड़े सा
खटपट क्यों।
पिकाचु
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