Sunday, January 8, 2017

वो नौनिहाल

बड़ा घर , कई कमरे ,
रहने वाला कोई नहीं।
कहानी है, ये  इंडिया की ,
अमीरजादों , ऐशजादों की।


सर्द , शीत , अंधड़ , बरसाती ,
दिन या रात, बीच सड़क के बीचोबीच,
बेघरों से  , रहते जो ,
दो बिजली के खम्बो के बीच ,
कहानी है , ये हमारे हिंदुस्तान की।


मर्म है , प्यार है ,त्याग है ,
जिन्दा रहने और जीने की,
जुनून है।
सर्द रातो को चीर के , बुलंदी की ,
परचम लहराने की आस है।
वर्तमान है  , ये हमारे हिंदुस्तान की।

यही वो नौनिहाल है ,
बैठा है जमी पे आज  ,
सड़क की मध्यम सी रौशनी में,
हाथो में  ले फटी किताब ।
भविष्य  है , ये हमारे हिंदुस्तान की।

गरीबी , बदहाली, कुपोषित ,
से लड़ता , असंख्य नामो से नेमित ,
छोटू , नन्हे , राजू , आमीर या हैदर है।
यह तो वह  अग्र, अधीर वीर है ,
जो  कल का कर्मवीर  है।

मंगल , शुक्र , चंद्र, तारो ,के बीच,
पहुँचने वाला अपना वही ,
सड़क के पाटो के बीच ,
बैठनेवाला  शूरवीर है।

पिकाचु





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