Saturday, January 28, 2017

धोखा

सौदा  दिल का उसने ही किया ,
जिसे दिल, मैंने , संभालने को दिया ।

बेवफा वो नहीं , बेवफा ये है ,
दफन ,मुर्दे को भी  जिन्दा कर दिया,
एहसासों से मरने के लिए ।

थमाया था विश्वास  की पूंजी  इंसान को  ,
उसी ने भोंक दिया खंजर
बड़े ईमान से।

पड़ा हु फर्श पर लथपथ खून या पसीने से ,
फिक्र किसे है ।
यहाँ हर शख्स  लगा है होड़ में,
लहू पिने को ,
जिन्दा रहने  के लिए।

राजनीति होती थी , ताज तख़्त के ताजपोशी को ,
राजनीति होती है , इंसानियत को  दफनाने की।

कभी रौशनी थी रहनुमाओ  की इंसाफ की   ,
आज बस लौ  जिन्दा है, शमशान के रूहो से।


पिकाचु

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