Friday, January 27, 2017

इश्क तो खेल है

इश्क तो पागल है ,
इश्क तो आवारा है ,
सुबह , शाम ,धुप  छाँव ,
गम ख़ुशी ,सा चलता है।

इश्क की उम्र नहीं ,
इश्क कभी तनहा नहीं ,
इश्क कभी आसान नहीं ,
मेरी जान, मैं नहीं , तू नहीं , तो इश्क नहीं।

इश्क कमशीन है ,
बड़ा  संगदिल है।  

इश्क तरसता है, 
मैं और मेरी जान
लब से लब को।
इश्क बैचेन है, मेरी जान के आलिंगन को।

इश्क की उम्र नहीं ,
इश्क जब जवां है , कोई रोधक नहीं।
इश्क जब अधेड़ है , एक पेसोपेश है।
इश्क जब बूढा है ,  तब ही परवान चढ़ता है।
इश्क पे जोर नहीं , मेरी जान , जब तू नहीं।


पिकाचु 

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