कुछ ऐसा लिखू ,लिखकर,
मैं ,
पिकचु
मैं ,
अमर हो जाऊ।
कुछ ऐसा करू ,सपनो को,
मैं ,
हकीकत कर दू।
मैं ,
हकीकत कर दू।
कुछ ऐसा देखु ,गिरते हुए को ,
मैं
मैं
खुदा की रहमत दिला दू।
कुछ ऐसा चलु ,
मैं।
मैं।
भटके हुए मंजिल मिल जाये।
दिल ने कुछ भूले यादो को,
तराशा तो सोचा ,
माँ ने ,कुछ ऐसा ही, बचपन में कहा था।
कसक सी उठी , खुद में ,
कुछ करने की कीमत, क्यों है इतनी।
पिकचु