Wednesday, January 25, 2017

धमाचौकोडी

इधर उधर की धमाचौकोडी
नाच नचाये बच्चो की चौकड़ी।

चिलम चाली , अकडम ,पकड़म ,
धूम धड़ाका ,
गूंज रहा है आवाजो से ,
नन्हे मुन्ने , राज दुलारो का,
ये गुलिस्ता।

एक पल की इनकी लड़ाई ,
दूजे  पल है प्रीत निभाई।
खेल बड़ा ये निराला है ,
प्यार तो इनकी पाठशाला ।

छुप्पा -छुप्पी, , छुक  छुक गाड़ी ,
लप्पड़ थप्पड़ , अकड़म पकड़म।
फिक्र नहीं  है जीत हार की।
पक्के है , सतरंगी है ,
रमे  है अपनी धुन में ये ,सच्चे। .





पिकाचु 

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