चलो कुछ हवा बनाये ,
अटकन , भटकन , इन्हें उड़ाए।
कुछ बाते करते आज ,
काफी , चाय , ठंडी , ठंडई , सुरासर की।
उठक बैठक , ताल ठोक कर ,
जोर का धक्का या ठेलम कर ,
गड्डी तो स्टार्ट कर भईया।
कब तक बैटरी गिरा रहेगा ,
पंजा , त्वरक,स्टार्टर गुमा रहेगा ,
चलो कुछ हवा बनाये ,
अटकन , भटकन , इन्हें उड़ाए।
नट बोल्ट टाइट कर ,
छेनी , हथौड़ा , कील ठोक दे बाबु ,
आज तो अपनी गड्डी दौड़ेगी,
गतिरोधक भी उड़ा देगी।
अटकन , भटकन भूल कर ,
ओ बालक ,
चलो कुछ हवा बनाये ,
अपनी गड्डी हवे में उड़ाए।
पिकाचु
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