Saturday, January 14, 2017

अटकन , भटकन , इन्हें उड़ाए



चलो कुछ हवा बनाये ,
अटकन , भटकन , इन्हें उड़ाए।

कुछ बाते करते आज ,
काफी , चाय , ठंडी ,  ठंडई , सुरासर  की।

उठक बैठक , ताल ठोक कर ,
जोर का धक्का  या ठेलम कर ,
गड्डी तो स्टार्ट कर  भईया।
कब तक बैटरी गिरा  रहेगा ,
पंजा ,  त्वरक,स्टार्टर गुमा रहेगा ,
चलो कुछ हवा बनाये ,
अटकन , भटकन , इन्हें उड़ाए।

नट बोल्ट टाइट कर  ,
छेनी , हथौड़ा , कील ठोक  दे बाबु ,
आज तो अपनी गड्डी दौड़ेगी,
गतिरोधक भी  उड़ा  देगी।
अटकन , भटकन भूल कर ,
ओ बालक  ,
चलो कुछ हवा बनाये ,
अपनी गड्डी हवे में उड़ाए।

पिकाचु




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