मैं ईमानदारी से ईमान बेचता हु ,
कफ़न की एक दुकान है , कफ़न बेचता हु।
मैं फक्र से जुआ जिंदगी का, खेलता हु ।
जिंदगी है कि, पल पल की ख़ामोशी में ,
मौत का जुआ बेचता है।
मैंने प्यार, ज्योति , जाया , सीरत से किया ,
सभी ने बड़े प्यार से,
मुझे प्यार का, मूर्त बना दिया।
मैं दुनियादारी नहीं जानता,
बड़े इत्मिनान से,
इस जहाँवालों ने दुनियादारी, का दुकान दे दिया ।
मैं जिंदगी की मुकाम से,
क्या जरा फीसल सा गया ,
जिंदगी की हर दुकान ने ,
नाकारा ,आवरा करार ,
मुझे भिखारी बना दिया ।
मैं कफ़न की दुकान खोलने,
फिर निकल तो चला ,पुकारा किसी ने ,
थोड़ा रुक, ठहर तो जरा ।
यहाँ हर इंसान, नंगा है खड़ा ,
कफ़न किसको बेचेगा ,
ये तो बता , तू जरा।
पिकाचु
कफ़न की एक दुकान है , कफ़न बेचता हु।
मैं फक्र से जुआ जिंदगी का, खेलता हु ।
जिंदगी है कि, पल पल की ख़ामोशी में ,
मौत का जुआ बेचता है।
मैंने प्यार, ज्योति , जाया , सीरत से किया ,
सभी ने बड़े प्यार से,
मुझे प्यार का, मूर्त बना दिया।
मैं दुनियादारी नहीं जानता,
बड़े इत्मिनान से,
इस जहाँवालों ने दुनियादारी, का दुकान दे दिया ।
मैं जिंदगी की मुकाम से,
क्या जरा फीसल सा गया ,
जिंदगी की हर दुकान ने ,
नाकारा ,आवरा करार ,
मुझे भिखारी बना दिया ।
मैं कफ़न की दुकान खोलने,
फिर निकल तो चला ,पुकारा किसी ने ,
थोड़ा रुक, ठहर तो जरा ।
यहाँ हर इंसान, नंगा है खड़ा ,
कफ़न किसको बेचेगा ,
ये तो बता , तू जरा।
पिकाचु
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