मुझे कुछ बनना है ,
ख्वाबो को हकीकत से रूबरू करना है।
फड़फड़ाते हुए पंछियो संग,
आसमान की बुलंदियों को छुना है।
मुझे बनना है।
मुझे कुछ रचना है,
सृष्टि की सरंचना को , संजोये रख ,
कुछ रचना है।
मुझे बहना है ,
धारा के बहावो को ,
बांधो में न ऊकेर के ,
मुझे बहना है।
मुझे रहना है ,
माँ के आँचल के छाँव में ,
ममता के आँगन के बीच ,
मुझे रहना है।
मुझे बस उस माँ के,
कांधो का सहारा बन ,
उसके ,
अधूरे सपने में कुंचो से रंग भरना है।
बस ,
मुझे माँ के सपनो को पूरा करना है।
पिकाचु
ख्वाबो को हकीकत से रूबरू करना है।
फड़फड़ाते हुए पंछियो संग,
आसमान की बुलंदियों को छुना है।
मुझे बनना है।
मुझे कुछ रचना है,
सृष्टि की सरंचना को , संजोये रख ,
कुछ रचना है।
मुझे बहना है ,
धारा के बहावो को ,
बांधो में न ऊकेर के ,
मुझे बहना है।
मुझे रहना है ,
माँ के आँचल के छाँव में ,
ममता के आँगन के बीच ,
मुझे रहना है।
मुझे बस उस माँ के,
कांधो का सहारा बन ,
उसके ,
अधूरे सपने में कुंचो से रंग भरना है।
बस ,
मुझे माँ के सपनो को पूरा करना है।
पिकाचु
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