Monday, February 6, 2017

तेरा ,मेरा , इसका, उसका

ये मेरा है ,
ये तेरा है ,
ये उसका है ,
ये इसका है
सब अहम  की माथा पच्ची   है।

ये कौन  ,
वो कौन ,
तुम कौन ,
अनजाने , अनचाहे रस्ते पे ,
निकल पड़े है ,
मुर्दो  की कौम।

इस ओर ,
उस ओर ,
सब ओर ,
काली मैली चादर ,
पसर चुका  है।

अँधियारी  वीरानी ,बस्ती में ,
इंसान, अपना हैवान बनकर ,
मौत का तांडव, खेल रहा है।

तेरा , मेरा , इसका , उसका,
करते करते ,
अपना  इष्ट भी ,
टूटकर,  बँट चूका है।

डोल रहा  हु ,
इसके , उसके , तेरे, मेरे ,
अहम के  गांठो के  ,
दोराहे - चौराहे पे।

सोच रहा हु ,
तेरा ,मेरा , इसका, उसका में  ,
क्या , कुछ  अपना भी है ।

पिकाचु

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