Thursday, February 2, 2017

आमोदक


जोशीले नौजवानों ,
कहाँ गुम हो  तुम।

ढूंढ  रहा है जोश तुम्हारा , 
दर दर भटके , गुहार लगाये ,
मेरा नौजवान  दोपहरिया छोड़,
वातानुकूलित में बंद क्यों । 

कुछ पल की ये आमोदक  ,
नौजवान क्या  तेरा, तल चिन्ह इतना उथला। 
मान  पड़ा क्यों कैसे तू ,
जब 
धरती  माँ की दोहन को,
सब ओर खड़े मंदबुद्धि हैवान । 

धार  प्रवाह , पे  ,
धुँए का मैला चादर,
तेरे जोश को ढक कर  ,
वर्तमान , भविष्य का , चिंतन, ज्ञान को ,
मजे मजे में ,
पंगु , लुल्हा ,  टुटहा करता। 

कुछ  करने को ठाना है तो ,
जोश में आओ , ओ जोशीले ,
सब्र बांध का तोड़कर तुम ,
हाथ में  ,
कील  हथौड़े  औजार और , पाना ,
ले ठोक दो तुम,  इस आमोदक को। 

पिकाचु 



No comments:

Post a Comment