देखो वक्त ये खूब है ,
थोथा ज्ञान , बजता ढपली ,
की ही धूम है ।
हर कुछ , यहाँ जो दीखता है ,
एकमुस्त वही पैमाना बन
इस वक्त यहाँ बिकता है।
समता असमता की बात तो कल की ,
ज्ञान अज्ञान का तौल,
बात है बेमानी।
आलास ही है, आज सुहानी।
आधा गगरी , आधा आंगन ,
आधा सत्य ,आधा मिथ्या ,
अनुयायी हर शख्स है इसका।
सपने हकीकत का आधार,
थाप है , उपभोग का।
अज्ञान की स्वरबद्ध गूंज,
एक सच है सौ झूठ का।
ये देख सब ,
हृदय की कम्पन्न ,
सृजनता का दर्पण ,
ठहर रहा है।
चारो ओर अज्ञान की प्रतिध्वनि ,
सुन ,
अंधियारे अनुयुग में,
इंसान मेरा , कुछ सहम रहा है।
पिकाचु
थोथा ज्ञान , बजता ढपली ,
की ही धूम है ।
हर कुछ , यहाँ जो दीखता है ,
एकमुस्त वही पैमाना बन
इस वक्त यहाँ बिकता है।
समता असमता की बात तो कल की ,
ज्ञान अज्ञान का तौल,
बात है बेमानी।
आलास ही है, आज सुहानी।
आधा गगरी , आधा आंगन ,
आधा सत्य ,आधा मिथ्या ,
अनुयायी हर शख्स है इसका।
सपने हकीकत का आधार,
थाप है , उपभोग का।
अज्ञान की स्वरबद्ध गूंज,
एक सच है सौ झूठ का।
ये देख सब ,
हृदय की कम्पन्न ,
सृजनता का दर्पण ,
ठहर रहा है।
चारो ओर अज्ञान की प्रतिध्वनि ,
सुन ,
अंधियारे अनुयुग में,
इंसान मेरा , कुछ सहम रहा है।
पिकाचु
बहुत खूब। 🙏
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