फरिश्तो के आतिश में ,
गमो का रकबा छोटा होता।
दिलो के मिलने से ,
जोड़ियों का सितारों से मिलन होता।
बुलंद होती जो किस्मत इस अंजुमन का,
मुफलिसी में मुरादी की महसूली ,
का इरादा न होता।
प्रलुब्धा सी ये सहचरी की ख्वाहिश,
न की होती जो मैंने।
निशाचर हो मैं,
यू गुनगुनाता न, मैं होता।
फ़ना हो, मैं वजूद ,
मिटाने को यू आतुर
सितमजदा क्यों होता।
सहारा जो तेरा,
ऐ बेवफा होता ,
यू मैं कलम का सिपाही बन ,
न यू आवारा होता।
गमो का रकबा छोटा होता।
दिलो के मिलने से ,
जोड़ियों का सितारों से मिलन होता।
बुलंद होती जो किस्मत इस अंजुमन का,
मुफलिसी में मुरादी की महसूली ,
का इरादा न होता।
प्रलुब्धा सी ये सहचरी की ख्वाहिश,
न की होती जो मैंने।
निशाचर हो मैं,
यू गुनगुनाता न, मैं होता।
फ़ना हो, मैं वजूद ,
मिटाने को यू आतुर
सितमजदा क्यों होता।
सहारा जो तेरा,
ऐ बेवफा होता ,
यू मैं कलम का सिपाही बन ,
न यू आवारा होता।
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