Friday, October 21, 2016

ऐबदार हम तुम


मोहब्बत पाक है।  
मोहबत बरकत है। 
मोहब्बत खुदा की इनायत  है।  

मोहब्बत  जब , जब  ,
बना   अलमस्त  ,
फकत  मोहिनी  का। 
तब - तब,
ऐबदार हम तुम।   

ऐब तो इन कातिल सी ,
हसीनो की फरेबी नजरो में है। 

कब पलकों से उठा कर,
चिलमन से गिरा देंगी ,
सितम दुनिया की ढा देंगी ,
इल्म इसका तो। 
न इनको भी है।
न तुमको भी है।  
न हमको भी है। 
न ज़माने को भी  है। 

बस इतनी सी इल्तेजा है , 
लिखते - लिखते,
न चलते - चलते  हो जाना ,
क्योंकि हसीनो  को 
इब्तिदा से ही ,
खुदा  की सबसे पहले रहमत है। 


  • पिकाचु 






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