मोहब्बत पाक है।
मोहबत बरकत है।
मोहब्बत खुदा की इनायत है।
मोहब्बत जब , जब ,
बना अलमस्त ,
फकत मोहिनी का।
तब - तब,
ऐबदार हम तुम।
ऐबदार हम तुम।
ऐब तो इन कातिल सी ,
हसीनो की फरेबी नजरो में है।
कब पलकों से उठा कर,
चिलमन से गिरा देंगी ,
चिलमन से गिरा देंगी ,
सितम दुनिया की ढा देंगी ,
इल्म इसका तो।
न इनको भी है।
न तुमको भी है।
न तुमको भी है।
न हमको भी है।
न ज़माने को भी है।
बस इतनी सी इल्तेजा है ,
लिखते - लिखते,
न चलते - चलते हो जाना ,
क्योंकि हसीनो को
इब्तिदा से ही ,
खुदा की सबसे पहले रहमत है।
- पिकाचु
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