नाम ही बचा जो हमसाया सा साथ चला ,
मृत्यु को भी झुठला ,
अचल , अमर , अविचल, निश्छल,
सदियो से , सदियो के बाद
सिकंदर , पोरस , पृथिवीराज सा,
चल -चला,बस साथ ही चला।
हम - तुम प्रण ये करे ,
निष्कपट , निश्छल ,
कर्तव्य, कर्मयोगी सा ,
ओत प्रोत हो ओज से,
हम तुम सृष्टि का
नव निर्माण करे।
कटुता , कायरता , भूख का प्रतिकार कर
समरसता का नव-संचार करे।
मृत्यु को भी झुठला ,
अचल , अमर , अविचल, निश्छल,
सदियो से , सदियो के बाद
सिकंदर , पोरस , पृथिवीराज सा,
चल -चला,बस साथ ही चला।
हम - तुम प्रण ये करे ,
निष्कपट , निश्छल ,
कर्तव्य, कर्मयोगी सा ,
ओत प्रोत हो ओज से,
हम तुम सृष्टि का
नव निर्माण करे।
कटुता , कायरता , भूख का प्रतिकार कर
समरसता का नव-संचार करे।
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