दीवाने को दर्द का साथ ,
प्रेमी को प्रेमिका का साथ ,
जिंदगी में हमदर्द का साथ ,
हर गुजरते लम्हे में ,
किसी न किसी का साथ, न हो ,
तो , हम भी अधूरे तुम भी अधूरे।
कागज के फूल ,
बिन सुगन्ध के साथ
बिकते है यहाँ।
रिश्ते टूटते है , बिखरती है जिन्दगी ,
समझ है फिर भी नासमझ बन क्यों ,
मेरे सनम, अपने अहम में ,
हमें क्यों उलझाती है जिंदगी।
साथ न अब हो पाओगी ,
दूर जाती हुई लहरो की तरह ,
छु कर निकल जाओगी।
पता है , पर खता क्या है !
हाँ , जो अंश है तुम्हारा ,
उसे क्या बता के जाओगी।
वक़्त है संभल जाओ ,ऐ मेरी जिंदगी,
छदम अहम को हवा कर , हम-तुम।
अँधेरे से रास्ते को कुछ खुशनमा सा ,
बनाते है , ऐ मेरी जिंदगी।
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