Saturday, October 15, 2016

आज हम कुछ और होते

आज हम कुछ और होते,
तुम भी कुछ और  होते,
अगर हम साथ होते।

साथ हमारा - तुम्हारा जो होता,
प्यार का तरन्नुम भी होता ,
जिंदगी का फसाना भी होता ,
साथ जो हम होते,
आज हम कुछ और होते
तुम भी कुछ और  होते।

यू भीड़ में खड़ा मैं ,
बिलकुल अकेला न होता  ,
खुद से अनजाना,
यू दीवाना सा न होता ,
साथ जो हम होते,
आज हम कुछ और होते
तुम भी कुछ और  होते।

ये मुनासिब तो नहीं,
यू मुनसिब के दरबार में,
तकरार जो है ,
साथ बैठ अगर हम,
गम हलक  कर लेते ,
आज हम कुछ और होते,
तुम भी कुछ और  होते।


पहचान तलाशते  हम ,
जो फिर रहे है ,
शहर द शहर ,
अपना भी ,
एक घरौंदा  होता,
साथ जो हम होते,
आज हम कुछ और होते
तुम भी कुछ और  होते।

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