Wednesday, October 19, 2016

बस एक आसरा


थका हु , हारा हू ,
नहीं मैं बेचारा हू।

जमी से आसमां तक
जहाँ तो मेरा है।
सितारों में भी मेरा,
जहाँ , बसाने  का इरादा है।

तिजारत की नहीं है मैंने ,
गमो से लड़ने का जज्बा है।


समां हमने जो बांधा है ,
इन्तेजार बस तेरा ही है।
इल्तेजा इतनी ही है मेरी ,
होश में तू आ जाये तो,
इबादत की इमारत को,
मोहब्बत का कहकशाँ
बनाने की ख्वाहिश है।


चाहत तू ही मेरी है ,
जिंदगी तू ही मेरी है।
पड़ा हु अर्श पे आज जो मैं ,
सितारों तक पहुँचने का
बस एक आसरा ,
 तू ही मेरी  है।


हौसले बुलंद  कर ,
अब बस  तुझे ,
पाने की ही  चाहत  है।
जमी का सीना चीर कर भी ,
तेरा दामन को जीत कर,
मुझे माजिद बनने की,
बस यही आखरी तमन्ना है।


 पिकाचु







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