मौत कब आती है, कब जाती है ,
खोज रहा हू , मिला नहीं।
अफ़सोस जब भी आती ,
बता के नहीं आती,
सिर्फ और सिर्फ ,
किसी को धीमे से हँसा जाती ,
किसी को गले तक रुला जाती।
खोज रहा हू मौत , अभी मिला नहीं।
पता है तो रास्ता दिखा दो सही।
मौत का इन्तेजार, नहीं किसी को ,
भाग रहे है , पता नहीं ,
मरते है हम ,
बेमौत ही मौत के कई लम्हे।
क्यों भाग रहे है फिर , पता नहीं।
खोज रहा हू मौत , अभी मिला नहीं।
पता है तो रास्ता दिखा दो, सही। ,
सुप्रभात की बेला में , शव वाहन था खड़ा ,
भीड़ थी उजले कपड़ो की ,
नर थे नारी थे , दूर खड़े थे सारे ,
खड़ा था एक वृद्ध , शव पेटी के साथ ,
कुछ खोया सा , कुछ रोया सा ,
खड़ा हो गया मैं , ये देख ,क्योंकि ,
खोज रहा हू मौत , अभी मिला नहीं।
कैसी महिमा है , खुश है सारे ,
छोड़ उस वृद्ध को ,
लगता कोई उसका अपना खोया !
सोच रहा हूं , कौन है अपना ,
पास खड़े है बेटा -बेटी , कुनबा सारा ,
फिर कौन है अपना।
खोज रहा हू मौत , अभी मिला नहीं।
जीवन क्या , मैं भाग रहा था ,
सोच रहा था, मैं था अपनों के बीच।
कौन है अपना , प्रश्न चिन्ह है।
जाते वक्त तो कोई साथ न है ,
फिर क्यों मोह माया , इन कुनबो पे ,
अंत होने पर, जब हाथ कुछ न होये।
विडम्बना देखो , मेहनत अपना ,
बाँट लिए इन कुनबे वाले ,
कर्म -कुकर्म , छोड़ गए अपने मत्थे।
कब समझोगे , कब जागोगे ,
बाँट तो जाओ कुछ -कुछ सबके हिस्से।
खोज रहा हू मौत , अभी मिला नहीं।
पता है तो, रास्ता दिखा दो सही।
पिकाचु
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