सटर, पटर, खटर
आवाज करती है ,
ये चलती रेल।
ईटा , पत्थर, सीमेंट,
कल ,पुर्जे , कपडे, लते ,
ढोती, ये सरपट रेल।
,
मुसाफिर तो इसका है ,
सारा देश,
जात - पात, न
धर्म या भेष ,
कोई भेद न करती ,
ये चलती रेल।
सबका साथ - सबका विकास
आदर्शोक्ति है ,
ये सरपट रेल।
हवा के तेजी से दौड़ती है ,
दूरियां छोटी करती है ,
हर कोने को जोड़ती है ,
ये चलती रेल।
कब, कैसे ,हो गया, लक्ष्य ,
इसका मुनाफा-खाना !
क्यों नीति में राज -नीति ,
साधती आज ,
ये चलती रेल।
माना इमदाद है,
साधारण दर्जे की,
आम आदमी की यात्रा।
फिर क्यों, बारबार टिकट
पर प्रदर्शित कर
हमें इमदादी बताकर ,
अपने रहमदिली और
रहमोकरम का ढिंढोरा
बजाकर , खुद क्यों ?
रहनुमा बनती,
ये चलती रेल।
क्यों खास, ये
धीरे धीरे बनती ,
ये चलती रेल।
क्यों हमारी,
कमर तोड़ती ,
ये चलती रेल।
क्यों टिकट ,
कभी मिलते नहीं?
फिर भी वजीर साहेब ,
कभी बघारते, थकते नहीं ,
ये चलती रेल।
क्यों , आधुनिकता के नाम पर,
गति , प्राद्योगिकी, निवेश को
तरसती ये चलती रेल।
क्यों , निजीकरण के दौर में ,
समाजीकरण का शऊर
भूलती ,ये चलती रेल।
क्यों अवर होती जाती ,
हमारी ये चलती रेल।
आप क्यों नहीं बताते ,
कहा लिए जाते ,
हमारे ये चलती रेल।
पिकाचु
इमदाद- सब्सिडी मदद पाने वाला
इमामत-नेतृत्व
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