बेपरवाह , बेख़ौफ़ , बेमिसाल ,
लुत्फ़ उठा रहे है ,
आज कल के सियासतदार।
रुतबा , रोब , रेशमी रुखसार ,
सभी कुछ ,
हथेलियों में कैद कर रखा है।
खुदावंद बन खुदसाख़्ता,
है, हर चाल इनका ,
बचा ,क्या?
कुछ नहीं।
प्यादे है हम।
बेहाल हो रही जिंदगी।
संकुचन , ह्राष हो रहा है ,
मुद्रा , नीति , चरित्र ,
कचनार का।
व्यय क्या अपव्यय क्या।
स्वयम्भू के जय में,
सर्वत्र विनाशक की उद्घोष में ,
मानव निरंतर अवनति के ओर ,
हर पल ,हर पथ , हर झन ,
अग्रसर, अग्रसर , अग्रसर।
पिकाचु
लुत्फ़ उठा रहे है ,
आज कल के सियासतदार।
रुतबा , रोब , रेशमी रुखसार ,
सभी कुछ ,
हथेलियों में कैद कर रखा है।
खुदावंद बन खुदसाख़्ता,
है, हर चाल इनका ,
बचा ,क्या?
कुछ नहीं।
प्यादे है हम।
बेहाल हो रही जिंदगी।
संकुचन , ह्राष हो रहा है ,
मुद्रा , नीति , चरित्र ,
कचनार का।
व्यय क्या अपव्यय क्या।
स्वयम्भू के जय में,
सर्वत्र विनाशक की उद्घोष में ,
मानव निरंतर अवनति के ओर ,
हर पल ,हर पथ , हर झन ,
अग्रसर, अग्रसर , अग्रसर।
पिकाचु
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