Saturday, November 5, 2016

क्या लिखू

क्या लिखू ,
तेरा नाम लिखू
कि ना लिखू।

तुझे नाम दू ,
या बदनाम करू।

कसमे वादे ,
याद  रखु ,
कि भूल जाऊ।

अब तू ही बता,
की मैं क्या लिखू।

प्यार की सदाये ,
या तेरी अदाये।
तू ही बता कि,
क्या याद रखु ,
और क्या बिसरू ।

रखने को संभाल कर ,
सब कुछ रखा है।
प्यार, वफ़ा
और तेरा ये  जफ़ा।
सभी है साथ ,
कही कोई  दूर नहीं।

मेरे नसीबी से
बदनसीबी कि ,
ये  कहानी
जुबानी याद है।
क्या लिखू ,
तेरा नाम लिखू
कि ना  लिखू।


जोश में हु ,
फिर क्यों ,
होश में हु।

क्यों सोच में हु?
गर तो  गहरा है।
प्यार तो मेरा ,
तेरी समझ में ,
थिथिल झील,
सा उथला है।

आबरू से बेआबरू
हो गया मैं ,
पूनम से अमावस
छा गया ये ,
फिर क्यों न  लिखू।


हमदम मेरे ,
प्यार तो तेरा
जुमा - जुमा है,
हमने तो हजारो लाखो में
तुम्हे चुना है।

प्यार तो पाक , पवित्र ,
दिल के तरंग और
नेक दिल उमंग है।
भवबंधन नहीं ,
दिलो का बंधन है,
अमरत्व का भवभंजन है।

तेरी समझ तो नहीं ,
मेरी समझ तो है।
वांछित नहीं ,
अवांछित हु मैं।
सोच रहा हु क्या लिखू।

बस प्यार तो,
मेरा तेरे लिए,
सदियो से सदियो तक,
अजर अमर कालातीत है।

तभी तो ,
मैं भी , तू भी  ,
सोच रहे।

क्या लिखू।
तेरा नाम लिखू
कि ना  लिखू।


पिकाचु




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