Friday, November 11, 2016

लिखता हु मैं , दिखती है तू


लिखता हु मैं , दिखती है तू ,
तड़पता हु मैं , तड़पती है तू।
प्यार ये मेरा , सिर्फ है तेरा ,
समझता हु मैं , समझती है तू।

आज अधीर हो मैं , तरसता हु क्यों ,
मेरी नहीं तू , गैर की क्यों।
बताते तो पहले , ये लिखता नहीं मैं ,
तस्वीर हु मैं, मेरी छाया है तू।


जाने जहाँ , जाते हो जो ,
कसमे , वादे , वफ़ा तो,
अपने ये लेते , तो जाओ।
जा के ,कही  तुम इनको ,
दफना के आना।

प्यार तो , तेरा ये  मेरा,
है सदियो  पुराना।
अनुरोध है जो,  बस  इतना ही तुमसे  ,
भूल के भी , हम तुम  कभी  भी ।
मदमस्त, बेपरवाह होकर,
तकलुफ़ न कर  दे  ।

सोच उत्कर्ष का रखना हमेशा,  
भला हो तेरा भी - भला हो मेरा भी।
सदैव स्मृति  में ,
तुम ये  अपनी रखना।
जीवंत  है जब तक, इसी जहाँ में।
रहना मुझे भी , रहना तुम्हे भी ,


पिकाचु


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