रिश्तो की ख्वाहिश , अनंतर बसी है ,
कुछ मेरे मन में , कुछ तेरे मन में।
चलो हम तुम ,
कुछ मुकम्मल करते है,
इस प्रतिकूल में,कुछ अनुकूल करते है।
कुछ अभिनव , कुछ अद्भुत ,
चलो हम तुम, निर्विरोध हो,
कुछ नूतन सा अफसाना ,
थोड़ा तुम , थोड़ा हम ,
चलो मिलकर, रचते है।
कुछ लम्हा पास,
हम -तुम ने बिताया ,
कुछ उसने रुलाया ,
कुछ हमने रुलाया ।
क्यों हम -दोनों ने ही,
खुद को यूँ ही, क्यों सताया।
समझती नहीं वो ,समझता नहीं वो।
थोड़ा तुम समझो , थोड़ा मैं समझू।
हम -तुम ने बिताया ,
कुछ उसने रुलाया ,
कुछ हमने रुलाया ।
क्यों हम -दोनों ने ही,
खुद को यूँ ही, क्यों सताया।
समझती नहीं वो ,समझता नहीं वो।
थोड़ा तुम समझो , थोड़ा मैं समझू।
पता है तुम्हे , पता है मुझे ,
नाराज हो तुम , नाराज हू मैं।फिर भी ,
पास आने की चाहत में ,
यूँ ही आकुल , है क्यों।
थोड़ा हम, थोड़ा तुम।
कुछ तुम चलो , कुछ मैं चलू ,
कुछ मैं भूलू , कुछ तुम भूलो।
ऐसा कुछ कर, हम दोनों,
क्यों न हम, ये गम भूले।
जरा तुम सोचो , जरा मैं सोचु ,
क्यों न हम, ये अहम भूले।
कुछ मेरे मन में है , कुछ तेरे मन में है,
एक दोनों में , दोनों ही बसे है।
ये विनती है, हम तुम से,
चलो मैं हारा , चलो तुम जीती ,
जीवन के रस्ते में,
चलो साथ होकर , सबकुछ भूलकर
थोड़ा हम चले , थोड़ा तुम चलो।
पिकाचु
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