एहसास धड़कनो का ,
धड़कते दिल में रहता है।
एहसासो की मायूसी में ,
हम तुम क्यों , यू ही ,
गीले शिकवे की नुमाईश,
भरी मजलिश में करते है।
पता है तुमको जो ,
इरादे ,ईमान के।
चंद सिक्को में ही,
इंसान के आज डोलते है।
रिश्तो की दरकने
की आवाजे ,
दिल के सुराखों से ,
निकलकर,
निर्बाध हो ,
लबो की आहो से ,
आहिस्ता , आहिस्ता
एहसासों के टूटने का
इजहार करता है।
एहसासों की तिजारत ,
हसीनो की वफाई है।
अमिट ये रीति ,
बना रखी है।
शारबो की महफ़िल में ,
गमो को हलक करना ,
क्यों जिंदगी का मनोविनोद ,
बना रखा है।
मायूसी में फसाने का,
सिरा पकड़ना ,
छोड़ के अब तुम।
उड़ने की तमन्ना,
जिगर में पाल, ले,
अब तू।
थपेड़ो से किनारा कर ,
प्रतिघात करने का ,
इरादा,
अब तो गढ़ ले तू।
अहसासों का साथ,
अब तो ,छोड़ दे तू।
पिकाचु
https://complaintcare.blogspot.in/
धड़कते दिल में रहता है।
एहसासो की मायूसी में ,
हम तुम क्यों , यू ही ,
गीले शिकवे की नुमाईश,
भरी मजलिश में करते है।
पता है तुमको जो ,
इरादे ,ईमान के।
चंद सिक्को में ही,
इंसान के आज डोलते है।
रिश्तो की दरकने
की आवाजे ,
दिल के सुराखों से ,
निकलकर,
निर्बाध हो ,
लबो की आहो से ,
आहिस्ता , आहिस्ता
एहसासों के टूटने का
इजहार करता है।
एहसासों की तिजारत ,
हसीनो की वफाई है।
फिर क्यों ,
दीवानो ने सदियो सेअमिट ये रीति ,
बना रखी है।
शारबो की महफ़िल में ,
गमो को हलक करना ,
क्यों जिंदगी का मनोविनोद ,
बना रखा है।
मायूसी में फसाने का,
सिरा पकड़ना ,
छोड़ के अब तुम।
उड़ने की तमन्ना,
जिगर में पाल, ले,
अब तू।
थपेड़ो से किनारा कर ,
प्रतिघात करने का ,
इरादा,
अब तो गढ़ ले तू।
अहसासों का साथ,
अब तो ,छोड़ दे तू।
पिकाचु
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