हमने भी गालीब , इक़बाल बनने की कोशिश की ,
इनके पदचिन्हो पर कभी चलने की कोशिश की।
कमबख्त हाथ में बोतल था ,और बस उसका सोच था ,
निकल पड़े उनके ख्याल खमाली में।
सोचा न होश कहा था , मदहोश से तीन प्याली में ,
सामने से कुकूर आ रहा था , सोचा किधर जाऊँ ,
बाये जाऊँ की दाये जाऊँ , इसी उहापोह में था ,
कुकूर ने भी भांप लिया , वह बाये गया न दाये
बस आक्रोशित हो सीधे ही आक्रमण किया।
कही रैबीज न हो जाये , अब तो सिर्फ कूकर का ही ख्याल था ,
क्या करे न करे इसी डर से हम बेहोश हो चले।
मेरे दोस्त कभी भी अपनी गम ख्याली न करना ,
तोहमत कुफ्र के तुम ही भुक्त भोगी होंगे।
ग़ालिब या इक़बाल का क्या होगा , ये तो अपना मुकाम
लिख कर चमन के फ़ाज़िल आफ़ताबी है।
हम तो बस इनकी शोबहत के दीदार के काहिल है।
इनके पदचिन्हो पर कभी चलने की कोशिश की।
कमबख्त हाथ में बोतल था ,और बस उसका सोच था ,
निकल पड़े उनके ख्याल खमाली में।
सोचा न होश कहा था , मदहोश से तीन प्याली में ,
सामने से कुकूर आ रहा था , सोचा किधर जाऊँ ,
बाये जाऊँ की दाये जाऊँ , इसी उहापोह में था ,
कुकूर ने भी भांप लिया , वह बाये गया न दाये
बस आक्रोशित हो सीधे ही आक्रमण किया।
कही रैबीज न हो जाये , अब तो सिर्फ कूकर का ही ख्याल था ,
क्या करे न करे इसी डर से हम बेहोश हो चले।
मेरे दोस्त कभी भी अपनी गम ख्याली न करना ,
तोहमत कुफ्र के तुम ही भुक्त भोगी होंगे।
ग़ालिब या इक़बाल का क्या होगा , ये तो अपना मुकाम
लिख कर चमन के फ़ाज़िल आफ़ताबी है।
हम तो बस इनकी शोबहत के दीदार के काहिल है।
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