एक कौआ, एक कबूतर , एक तोता
तीनो ने मिलकर सोचा, क्या सोचा,
इंसान को खाने का सोचा ,
दाने दाने को है मोहताज ,
कभी बाढ , कभी सूखा कभी इंसानो का बम ब्लास्ट ,
इन सब ने धरती की धार बदल दी,
गुरुत्वाकर्षण की चाल बदल दी ,
सागर , नदिया , धर्म , इंसान ,
ईमान ,हो गई है सदियो की सोच ,
हम तो ,''हम तो , तीन चिड़या ,
दाने दाने को खाने को है मोहताज।
बच्चा बैठा देखो रूठा , पर क्या यह भी है सच्चा ,
मानवता की दानवता की छदम चाल में ,
क्या बच्चा क्या जच्चा क्या कौआ क्या तोता ,
सब खोकर केवल मैं का स्वार्थ ले दौड़ पड़े है।
देखे क्या होता है , देखे क्या होता है , बस सोच रहे है । । । । । । । । । ।
तीनो ने मिलकर सोचा, क्या सोचा,
इंसान को खाने का सोचा ,
दाने दाने को है मोहताज ,
कभी बाढ , कभी सूखा कभी इंसानो का बम ब्लास्ट ,
इन सब ने धरती की धार बदल दी,
गुरुत्वाकर्षण की चाल बदल दी ,
सागर , नदिया , धर्म , इंसान ,
ईमान ,हो गई है सदियो की सोच ,
हम तो ,''हम तो , तीन चिड़या ,
दाने दाने को खाने को है मोहताज।
बच्चा बैठा देखो रूठा , पर क्या यह भी है सच्चा ,
मानवता की दानवता की छदम चाल में ,
क्या बच्चा क्या जच्चा क्या कौआ क्या तोता ,
सब खोकर केवल मैं का स्वार्थ ले दौड़ पड़े है।
देखे क्या होता है , देखे क्या होता है , बस सोच रहे है । । । । । । । । । ।
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