ठण्ड की ठिठुरन में ,
ठिठक ठिठक कर ,
टिक टिक करती समय।
घने कोहरे को चीरते आवाज आई।
घुप सा इंसान , असमंजस में पड़ा।
ठिठका , सोचा चलो कोई तो है।
आवाज पास आई ,
कहा चलो , चल चले ,
तेरा वक्त आ गया , यम हु मैं।
सिहरन, कंपकपी , डर , फिर मैं निडर।
यम का ठिकाना , स्वर्ग , नर्क या धरती।
यम तो मैं हु, मेरी काल यम नहीं, मैं हु।
मैं सोचा , यम मैं तो !
क्यों ठिठका , रुका , चरमराई व्यवस्था में।
जाना है मैं को ,
अविनाशी नहीं , फिर कौन सी व्यवस्था।
व्यवस्था ही यम है , अहम है , विनाशी है।
पश्चाताप , पछतावा , शोक , छोड़ ,
मैं की जी और मैं की रक्षा कर।
पिकाचु
ठिठक ठिठक कर ,
टिक टिक करती समय।
घने कोहरे को चीरते आवाज आई।
घुप सा इंसान , असमंजस में पड़ा।
ठिठका , सोचा चलो कोई तो है।
आवाज पास आई ,
कहा चलो , चल चले ,
तेरा वक्त आ गया , यम हु मैं।
सिहरन, कंपकपी , डर , फिर मैं निडर।
यम का ठिकाना , स्वर्ग , नर्क या धरती।
यम तो मैं हु, मेरी काल यम नहीं, मैं हु।
मैं सोचा , यम मैं तो !
क्यों ठिठका , रुका , चरमराई व्यवस्था में।
जाना है मैं को ,
अविनाशी नहीं , फिर कौन सी व्यवस्था।
व्यवस्था ही यम है , अहम है , विनाशी है।
पश्चाताप , पछतावा , शोक , छोड़ ,
मैं की जी और मैं की रक्षा कर।
पिकाचु
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