बाप रे बाप , ये क्या हो रहा है ,
अपना काम खुद करो ,
बच्चे नहीं हो , अब हो बड़े ,
बाप का बोझ , कुछ तो ढो ,
समझा रहा था कौन ,
एक बाप , एक बेटे को।
बाप रे बाप , ये क्या हो रहा है ,
वही बाप , गरजा ,
अपने बाप को।
बुढे हो, सठिया गये हो ,
खाना खाओ , जाकर सो।
बाप रे बाप , क्या हो रहा है ,
बाप का बाप और ,बेटा , बाप का ,
कैसा है ये , खेला।
कौन है श्रवण , कौन है दुर्योधन ,
कौन है धृतराष्ट्र , कौन है पितामह।
भैया ये तो ,
रफूचक्कर होते वक्त का खेल,
है सारा।
बाप रे बाप ,
किसे सुनाओ , किसे बताओ ,
घर घर की है यही कहानी।
नए वक्त की , नई रवानी ,
शून्यता , अधिरता के ,
है, ये पुजारी ।
बाप रे बाप ,
समझ से ही है , ढीठ है सारे ,
हर साख पे बैठा, है ,यहाँ ,
इंटरनेट के ज्ञाता।
बकबक करते ये ,
काठ के लल्लू ,
बनते जैसे ,
विश्वकोश के प्रकांड पंड़ित।
बेटा , बाप , और बाप का बाप
किसने की है गलती भैया।
थानेदार जब है स्वार्थ है भैया।
भस्मासुर बन ये खेल रचाया।
मंझधार में फंसे है सारे ,
खोज रहे है केवट सारे।
बोल रहे है, सारे मिलकर ,
ये अविश्वास के खेल में।
भैया ,
बाप रे बाप , क्या हो रहा है।
पिकाचु
अपना काम खुद करो ,
बच्चे नहीं हो , अब हो बड़े ,
बाप का बोझ , कुछ तो ढो ,
समझा रहा था कौन ,
एक बाप , एक बेटे को।
बाप रे बाप , ये क्या हो रहा है ,
वही बाप , गरजा ,
अपने बाप को।
बुढे हो, सठिया गये हो ,
खाना खाओ , जाकर सो।
बाप रे बाप , क्या हो रहा है ,
बाप का बाप और ,बेटा , बाप का ,
कैसा है ये , खेला।
कौन है श्रवण , कौन है दुर्योधन ,
कौन है धृतराष्ट्र , कौन है पितामह।
भैया ये तो ,
रफूचक्कर होते वक्त का खेल,
है सारा।
बाप रे बाप ,
किसे सुनाओ , किसे बताओ ,
घर घर की है यही कहानी।
नए वक्त की , नई रवानी ,
शून्यता , अधिरता के ,
है, ये पुजारी ।
बाप रे बाप ,
समझ से ही है , ढीठ है सारे ,
हर साख पे बैठा, है ,यहाँ ,
इंटरनेट के ज्ञाता।
बकबक करते ये ,
काठ के लल्लू ,
बनते जैसे ,
विश्वकोश के प्रकांड पंड़ित।
बेटा , बाप , और बाप का बाप
किसने की है गलती भैया।
थानेदार जब है स्वार्थ है भैया।
भस्मासुर बन ये खेल रचाया।
मंझधार में फंसे है सारे ,
खोज रहे है केवट सारे।
बोल रहे है, सारे मिलकर ,
ये अविश्वास के खेल में।
भैया ,
बाप रे बाप , क्या हो रहा है।
पिकाचु
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