बसते है, फरिश्ते हर डाल पर ,
कहते है हम इसे हिंदोस्तान।
मौसम है, जहाँ खुशनुमा ,
आबोहवा है ,यहाँ हर ओर जंवा, ये जमी है अपनी हिंदोस्तान की ।
हर रात यहाँ रौशनी , कातिल यहाँ कोई नहीं ,
सैयाद भी गाते जहा , प्यार के नगमें सदा।
कहते है दुनिया में, अगर कोई जन्नत है कही ,
वो जमी कोई और नहीं , वो हिन्दोस्तान है।
बहती है गंगा चतुरार्थ की ,
खेतो में है फसल पुरुसार्थ की।
क्या आदमी क्या जानवर ,
मिलजुलकर हर जीव जहाँ,
संबल देता अनेको अनुष्ठान की , ये जमी है अपनी हिंदोस्तान की ।
वक्त की जहाँ पहचान है ,
संसार की हर जीव का जहाँ सम्मान है, वो हिंदोस्तान है ।
हर सख्स यहाँ शहंशाह है,
हर गुलिस्तां यहाँ गुलजार है ,
हर पर्व है यहाँ उल्लास का ,
हर पैगाम है यहाँ अमन का , ये जमी है अपनी हिंदोस्तान की ।
पिकचु
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