Tuesday, March 7, 2017

ये जमी है अपनी हिंदोस्तान की ।



बसते  है, फरिश्ते हर डाल पर ,
कहते है हम इसे हिंदोस्तान।

मौसम है, जहाँ खुशनुमा ,
आबोहवा है ,यहाँ हर ओर जंवा, ये जमी  है अपनी हिंदोस्तान की ।


हर रात यहाँ  रौशनी ,  कातिल यहाँ कोई नहीं ,
सैयाद भी गाते जहा , प्यार  के  नगमें सदा।
कहते  है दुनिया में, अगर कोई जन्नत है कही ,
वो  जमी कोई और नहीं ,  वो हिन्दोस्तान है।


बहती है गंगा चतुरार्थ  की ,
खेतो  में है फसल पुरुसार्थ की।
क्या आदमी क्या जानवर ,
मिलजुलकर हर जीव जहाँ,
संबल देता अनेको अनुष्ठान की ,  ये जमी  है अपनी हिंदोस्तान की ।

वक्त की जहाँ पहचान है ,
संसार की हर जीव का जहाँ सम्मान है, वो  हिंदोस्तान है ।


हर सख्स यहाँ शहंशाह  है,
हर गुलिस्तां यहाँ गुलजार है  ,
हर पर्व  है यहाँ उल्लास का ,
हर पैगाम है यहाँ अमन  का  ,   ये जमी  है अपनी हिंदोस्तान की ।


पिकचु


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