Saturday, February 27, 2016

वाक्या फ़ोन बैंकिंग सेवा का

                                                                      वाक्या फ़ोन  बैंकिंग सेवा का 

मै आपके तरह ही एक जिम्मेदार नागरिक हु जो नियमित समय पैर टैक्स देता है  ।   एक घटना  बताता हु , बहुत  पुरानी नहीं है , लगभग दो चार दिन ही हुई होगी बीते हुए।  

आजकल जिनके पास मोबाइल है,  वो जरूर ही नेट बैंकिंग की सेवा का लाभ उठाते होंगे, मैंने भी तीन दिन पहले नेट बैंकिंग से टिकट बुक किया , और हमारा गुड लक रहा की एक ट्रांसक्शन सक्सेसफुल नहीं हुआ और अकाउंट डेबिट हो गया। 

 रात के ८ बजे का समय था।  मैंने सोचा चलो शिकायत करते है , इंटरनेट पर लोग इन किया  और  नेट बैंकिंग नंबर  पर कॉल किया।  
जनाब  रत के ८ बजे थे  , आप   कतार में है हमरे सभी फ़ोन बैंकिंग अफसर व्यस्त है  . आपको  ६ मिनट इन्तेजार करना होगा।    यह आवाज सुनने को मिला ;  मैंने सोचा , चलो देखते है ६ मिनट में बात  होती है की नहीं।  जनाब क्या बताऊ हर ४० सेकंड में यह बतया जाता की आप का वेटिंग समय है ६० सेकंड , ५८ सेकंड , ४८ सेकंड........  और ऐसे करते हुए हमने २० मिनट तक वेटिंग पर बिताया। 

जब २० मिनट बाद फ़ोन बैंकिंग अफसर  फ़ोन पर आये और मैंने उन्हें बताया  की मैं २० मिनट वेटिंग करते हुए बिताये है तो सर्व प्रथम  उन्होंने झमा माँगा और बताया की वो क्या सेवा कर सकते है। 

 मैंने उनसे ये बोला की साहेब अगर २० मिनट तक कोई कॉल वेटिंग पर  रहेगा तो इसका खरचा कौन  देगा , उन्होंने  फिर झमा माँगा , 

मैंने कहा २० मिनट के अंदर भाई अगर मै  चलती हुई गाड़ी से बैठ कर कॉल करता तो कॉल  काट जाता , आपको यह पता है ! उन्होंने  फिर झमा माँगा।  

मैंने बोला आपके साइट पर  कोई कस्टमर निवारण का कोई मेल इड  नहीं है , उन्होंने फिर झमा माँगा।  

क्या कोई मुझे बता सकता है की हमारे जैसा थोड़ा पढ़ा लिखा आदमी भी आपकी सेवा को न स जान पाया तो  कोई गाँव  का व्यक्ति  क्या समज्झ  पायेगा  तो उनोहने फिर  झमा माँगा।  

ऐसी   फ़ोन बैंकिंग सेवा हमारे देश की अग्रणी बैंक दे रहे है तो क्या हमारा हक़ नहीं बनता की  हम इनसे पूछे की  हमारी जमा  किये हुये पैसे से जब ये बैंकिंग चल रही है तो हमें ऐसी सेवा क्यों मिल रही है??????? 

जनाब इस समस्या से हम सब दो चार होते है कृपया आगे आइये और और हम मिलकर कोशिश करे की बैंकिंग सेवा और भी बेहतर हो जिससे की झमा मांगने की जरुरत ही न पड़े। 

सोचे जरा-----------.








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